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नगर पालिका परिषद में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप ?

नगर पालिका परिषद भदोही में जन्म मृतयु बनाने की प्रक्रिया बिल्कुल ठप, जनता परेशान — मो0 दानिश सिद्दीकी पूर्व सभासद
पूर्व सभासद मो0 दानिश का आरोप है कि भदोही नगर पालिका परिषद में जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से ठप पड़ी है, जिसके कारण स्थानीय निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। नगर के प्रमुख समाजसेवी और पूर्व सभासद दानिश सिद्दीकी ने इस गंभीर मुद्दे को उठाते हुए नगर पालिका प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने बताया कि अधिकारियों की हठधर्मिता और कर्मचारियों की अन्य कार्यों में व्यस्तता के चलते लोग महीनों से अपने और अपने बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र के लिए नगर पालिका और तहसील के चक्कर काटने को मजबूर हैं।वर्तमान समय में स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की प्रक्रिया चल रही है, और अधिकांश स्कूल जन्म प्रमाण पत्र को अनिवार्य दस्तावेज के रूप में मांग रहे हैं। अभिभावक जब नगर पालिका कार्यालय पहुंचते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने वाले कर्मचारी कार्यालय में मौजूद नहीं हैं। ये कर्मचारी अक्सर प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वे या अन्य फील्ड कार्यों में व्यस्त रहते हैं। परिणामस्वरूप, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के आवेदन फॉर्म तो भरवा लिए जाते हैं, लेकिन इन्हें महीनों तक जारी नहीं किया जाता। इस लापरवाही के कारण बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है, क्योंकि समय पर प्रमाण पत्र न मिलने से स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया बाधित हो रही है।शासन ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया को और सख्त करते हुए समय सीमा को पहले की 25 और 21 दिनों से घटाकर अब केवल 8 दिन कर दिया है। यदि इस अवधि में पंजीकरण नहीं होता, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उप जिलाधिकारी से सत्यापन करवाना पड़ता है, जो गरीब और आम जनता के लिए अतिरिक्त समय और धन की बर्बादी का कारण बनता है। यह प्रक्रिया न केवल जटिल है, बल्कि जनता के लिए आर्थिक और मानसिक बोझ भी बढ़ाती है।पूर्व सभासद दानिश सिद्दीकी ने इस स्थिति पर गहरी चिंता जताते हुए कहा, “नगर पालिका प्रशासन की लापरवाही के कारण जनता को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों को पीएम आवास योजना या अन्य कार्यों में लगाकर जन्म-मृत्यु पंजीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य को उपेक्षित किया जा रहा है। यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि जनता के हितों के साथ खिलवाड़ भी है।” उन्होंने अधिशासी अधिकारी से तत्काल कार्रवाई की मांग की है, जिसमें कर्मचारियों को अन्य ड्यूटियों से हटाकर जन्म-मृत्यु पंजीकरण के कार्य में लगाने और सभी लंबित प्रमाण पत्रों को शीघ्र जारी करने की बात शामिल है।सिद्दीकी ने यह भी मांग की है कि शासन स्तर पर जन्म और मृत्यु पंजीकरण की प्रक्रिया को और सरल किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि लोग घर बैठे आसानी से आवेदन कर सकें और समय पर प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकें। वर्तमान में, उत्तर प्रदेश के ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन भदोही जैसे क्षेत्रों में इसकी जागरूकता और कार्यान्वयन में कमी देखी जा रही है।उन्होंने यह भी जोड़ा कि जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र न केवल व्यक्तिगत पहचान के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये सामाजिक, कानूनी और वित्तीय अधिकारों को सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र, उदाहरण के लिए, मुआवजे, पेंशन, और बीमा लाभ प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इस तरह की लापरवाही से न केवल व्यक्तियों का नुकसान होता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक प्रगति भी बाधित होती है।नगर पालिका परिषद भदोही के इस रवैये से नाराज स्थानीय निवासियों ने भी दानिश सिद्दीकी के प्रयासों की सराहना की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनकी मांगों पर शीघ्र अमल होगा और प्रशासन जनता की सुविधा के लिए त्वरित कदम उठाएगा। इस बीच, सिद्दीकी ने जनता से अपील की है कि वे अपनी समस्याओं को नजरअंदाज न करें और प्रशासन से जवाबदेही की मांग करें।इस पूरे मामले में यह स्पष्ट है कि भदोही नगर पालिका को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण जैसी मूलभूत सेवाओं में देरी न केवल प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाती है, बल्कि जनता के प्रति असंवेदनशीलता को भी उजागर करती है। शासन और स्थानीय प्रशासन को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए, ताकि भदोही की जनता को बिना परेशानी के आवश्यक दस्तावेज प्राप्त हो सकें।