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भदोही में ढोंगी बाबाओं की भूमिका बरकरार

भदोही में ढोंगी बाबाओं की भूमिका बरकरार ये बाबा अक्सर चमत्कार, तंत्र-मंत्र, और झूठे वादों के सहारे लोगों को ठगते

✍️सीआरएस न्यूज संवाददाता वसीम आलम

भदोही- गंगा के किनारे बसा एक धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है। यहाँ के लोग धार्मिक आस्थाओं और परंपराओं को गहराई से मानते हैं। बाबा हरिहर नाथ मंदिर (ज्ञानपुर) और सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) जैसे धार्मिक स्थल इस क्षेत्र की आध्यात्मिक पहचान को और मजबूत करते हैं। लेकिन यही आस्था ढोंगी बाबाओं के लिए एक आसान शिकार बन जाती है। ये बाबा अक्सर चमत्कार, तंत्र-मंत्र, और झूठे वादों के सहारे लोगों को ठगते हैं। ढोंगी बाबा अक्सर लोगों से चमत्कार या समस्याओं के समाधान के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं।

भदोही में, जहाँ कालीन उद्योग के बाद कृषि प्रमुख रोजगार है, कई परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं। ऐसे में ये बाबा उनकी मेहनत की कमाई को ठग लेते हैं। ये बाबा तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत और चमत्कारों की कहानियों के जरिए समाज में अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। इससे वैज्ञानिक सोच और तर्कशक्ति कमजोर होती है। कई लोग अपनी समस्याओं के समाधान के लिए इन बाबाओं पर निर्भर हो जाते हैं, जिससे उनकी मानसिक स्थिति और आत्मविश्वास पर नकारात्मक असर पड़ता है। तो वंही कुछ मामलों में, ढोंगी बाबा धोखाधड़ी, यौन शोषण, और अन्य अपराधों में भी लिप्त पाए गए हैं। आर्थिक रूप से कमजोर लोग त्वरित समाधान की उम्मीद में

इनके जाल में फंस जाते हैं।

स्थानीय प्रशासन और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। स्कूलों और ग्राम पंचायतों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जाए उत्तराखंड की तरह ऑपरेशन कालनेमिर जैसे अभियान भदोही में भी चलाए जा सकते हैं, ताकि ढोंगी बाबाओं की पहचान और गिरफ्तारी हो सके। शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए भदोही में और अधिक स्कूलों और व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए। स्थानीय मीडिया को इन ढोंगी बाबाओं के खिलाफ जागरूकता फैलाने और उनकी सच्चाई उजागर करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। साथ ही ग्राम पंचायतों और स्थानीय नेताओं को समुदाय के साथ मिलकर इन बाबाओं की गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए।

भदोही जैसे सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण जिले को ढोंगी बाबाओं के चंगुल से बचाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। यहाँ की जनता की आस्था और सादगी का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रशासन, समाज और मीडिया को एकजुट होकर काम करना होगा। शिक्षा, जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई के माध्यम से ही इस समस्या का समाधान संभव है। भदोही को न केवल अपनी कालीन कला के लिए, बल्कि एक प्रगतिशील और जागरूक समाज के लिए भी जाना जाना चाहिए।

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